The Shivgadi Temple is a Lord Shiva Temple situated 8 km north of Barhait. This temple is located inside a cave. The specialty of this temple is that the mountain here continuously drops water on the Shiva Lingam present here. This temple sees many visitors during the month of Shravan, as well as on Mahashivratri. Water from the mountain drips continuously on the Shivling. Devotees gather here in large numbers on Mahashivratri and whole of Shravan month.
बाबा गाजेशवर नाथ धाम ( शिवगादी ) कि कथा
गाजेश्वर नाथ का शिवलिंग दानवराज गजासूर के द्वारा प्रस्थापित है। शिव पुराण मे गजासूर नामक दैत्या का वर्णन अता है जो बलशाली महिषासूर का सुयोग्य पुत्र था। इसने हजारो वर्षो तक अंगुठे के बल पर खड़े होकर उग्र तपस्या कर भगवान शंकर से वर प्राप्त किया। वर प्राप्त कर वह अत्यंत बलशाली और दुराचारी हो गया इसके अत्याचार और भय से ऋषि मुनी देवता गण त्राहिमाम – त्राहिमाम करने लगे। ऋषि मुनी एवं देवताओ ने भगवान शंकर की स्तुति की। उनकी करून पुकार सुनकर भगवान शंकर ने गजासूर का संहार किया। मरते समय भी गजासूर ने भगवान शंकर की स्तुति की जिससे भगवान शंकर प्रसन्न होकर कहा तेरे द्वारा स्थापित यह शिवलिंग तेरे ही नाम से प्रसिद्धि पायेगे लोग इसे गाजेश्वर धाम के नाम से जानेंगे। कहा जाता है कि भगवान शंकर जब नंदी पर सवार होकर गजासूर का वध कर रहे थे तब नंदी दो पैरो पर खड़ा हो गया। नंदी के उसी दो पैरौ के निशान एक चट्टानो पर पड़ गया जो आज भी मौजूद है और शिवगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन को भगवान शंकर जी का दर्शन इसी देवाना पर्वत पर हुई थी।
बाबा गाजेशवर नाथ धाम ( शिवगादी ) कि कथा
गाजेश्वर नाथ का शिवलिंग दानवराज गजासूर के द्वारा प्रस्थापित है। शिव पुराण मे गजासूर नामक दैत्या का वर्णन अता है जो बलशाली महिषासूर का सुयोग्य पुत्र था। इसने हजारो वर्षो तक अंगुठे के बल पर खड़े होकर उग्र तपस्या कर भगवान शंकर से वर प्राप्त किया। वर प्राप्त कर वह अत्यंत बलशाली और दुराचारी हो गया इसके अत्याचार और भय से ऋषि मुनी देवता गण त्राहिमाम – त्राहिमाम करने लगे। ऋषि मुनी एवं देवताओ ने भगवान शंकर की स्तुति की। उनकी करून पुकार सुनकर भगवान शंकर ने गजासूर का संहार किया। मरते समय भी गजासूर ने भगवान शंकर की स्तुति की जिससे भगवान शंकर प्रसन्न होकर कहा तेरे द्वारा स्थापित यह शिवलिंग तेरे ही नाम से प्रसिद्धि पायेगे लोग इसे गाजेश्वर धाम के नाम से जानेंगे। कहा जाता है कि भगवान शंकर जब नंदी पर सवार होकर गजासूर का वध कर रहे थे तब नंदी दो पैरो पर खड़ा हो गया। नंदी के उसी दो पैरौ के निशान एक चट्टानो पर पड़ गया जो आज भी मौजूद है और शिवगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन को भगवान शंकर जी का दर्शन इसी देवाना पर्वत पर हुई थी।
Shivgadi Dham,
Barhait, Sahibganj, Jharkhand, 816102,
Mo :- 9939754814